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आखिर ट्रांसजेंडर गे और सेक्स वर्कर्स को क्यों नहीं है खून देने की अनुमति ,यहां जाने सरकार के इस नियम के बारे में

 

ट्रांसजेंडर ,गे  ,सेक्स वर्कर्स, ब्लड डोनेशन  से दूर रखा जाता है  यानी  इन लोगों को ब्लड डोनेशन की परमिशन नहीं है केंद्र सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय की ब्लड डोनर सिलेक्शन गाइड लाइन में इस बात का जिक्र बकायदा किया गया है। ट्रांसजेंडर समुदाय के मेंबर थंगजम संता सिंह इस मामले में पिटीशन दायर कर डोनर सिलेक्शन और डोनर रेफरल, 2017 की गाइडलाइन का विरोध किया था।  मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अब केंद्र सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट के माध्यम से कुछ साइंटिफिक प्रूफ दिए हैं, ताकि इस बात को साबित करने में आसानी हो कि ऐसा क्यों किया गया है।  

आखिर ट्रांसजेंडर गे और सेक्स वर्कर्स को क्यों नहीं है खून देने की अनुमति ,यहां जाने सरकार के इस नियम के बारे में 

 सरकार का तरीका कि जरूरतमंद और बीमार लोगों को सेफ ब्लड मिले यह  उनका अधिकार है इसलिए ऐसे जरूरी भी है इसलिए किसी भी विशेष पर रोक  लगाने का मकसद  सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन सिस्टम को लागू करना है। यह समझना बेहद जरूरी है कि खून देने के अधिकारों से ज्यादा महत्वपूर्ण सुरक्षित खून देना है। 

ट्रांसजेंडर, सेक्स वर्कर्स बनेंगे ब्लड डोनर तो इन बीमारियां का रिस्क बढ़ेगा

HIV
AIDS
हेपेटाइटिस B या C
मलेरिया
STI (सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन)


इसका फैसला किसने कियाकी  कौन ब्लड डोनेट करेगा पर  कौन नहीं 


 जैसा कि पहले बताया गया कि केंद्र सरकार की परिवार कल्याण मंत्रालय की बकायदा  इस बारे में गाइड लाइन है जिसके आधार पर ट्रांसजेंडर समलैंगिक पुरुष और महिला सेक्स वर्कर्स के ब्लड डोनेट पर रोक लगाई गई है।  इस गाइडलाइन की 2017 में नेशनल ब्लड  ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने डॉक्टर और साइंटिफिक एक्सपर्ट की सलाह से तैयार किया गया है। 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ब्लड डोनेशन किन की गाइडलाइन साइंटिफिक इसके पीछे आधार क्या  है ?

इसके बारे में साइंटिफिक कारण बताने के लिए रिसर्च को दिए गए हैं 

इंटरनेशनल जर्नल आफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ की रिसर्च 2019 में पब्लिश हुई थी। यह रिसर्च वडोदरा शहर में की गयी थी इसमें बताया गया कि MSM  यानी पुरुषों के साथ फिजिकल रिलेशन रखने वाले पुरुषों को एचआईवी  ,STI  होने का रिस्क ज्यादा होता है। रिसर्च में साबित हुआ है कि 36 परसेंट MSM  ट्रांजिस्टर  संबंध बनाते समय कंडोम का यूज नहीं करते थे । 


कर्मिशियल  सेक्स वर्कर स्टडी 2011 में कर्नाटक में की गई। इस राज्य के 6 जिलों को शामिल किया गया। क्लाइंट की वजह से एचआईवी और  एसटीआई का शिकार हो रही थी जाहिर सी बात है इस बात की कोई जानकारी नहीं होती थी कि  क्लाइंट के संबंध में और कितनी लड़कियों से संबंध में है और यह भी जानकारी नहीं थी क्लाइंट को कोई सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है कि नहीं। 

  2021 में चेन्नई और मुंबई के उन पुरुषो  पर स्टडी की गई जिनके शारीरिक संबंध दूसरे पुरूष होते है इस रिपोर्ट में सामने आया कि देश में MSM   की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे रिश्ते में प्रिकॉशन नहीं लिया जाता इसलिए STI और क्लैमाइडिया इन्फेक्शन जैसी बीमारियां फैल रही है। 

ट्रांसजेंडर को HIV का खतरा दूसरों के मुकाबले ज्यादा है। वो इससे बचने के लिए कोई उपाय नहीं करते हैं। यह खुलासा 2021 में हुई एक स्टडी में हुई। यह अपने आप में एक यूनीक स्टडी थी। इसमें 34 देशों की 98 स्टडी को एक साथ लिया गया था। इनमें 78 स्टडीज में यह बात सामने आई कि ट्रांसजेंडर पुरुष और महिला दोनों में HIV और STD का रिस्क ज्यादा है।