आखिर गर्मी पड़ने वाले दिनों में क्यों रही है बारिश ,क्या अभी बारिश से बारिश के मौसम पड़ेगा प्रभाव ,यहां जाने मौसम वैज्ञानिको से इसके जवाब

अप्रैल के आखिरी दिनों में हुई बेमौसम बारिश का सिलसिला मई में भी जारी रहा। मौसम विभाग के अनुमान लगाया है कि अगले 5 दिनों तक 14 राज्य में तेज बारिश हो सकती है। इसके अलावा पांच राज्य में हल्की बारिश और 10 राज्यों में बादल छाए रहने की आशंका है। जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में बर्फबारी का अलर्ट जारी हुआ है। मार्च से अप्रैल तक मौसम विभाग की जिलेवार आंकड़ों के मुताबिक 17 राज्यों के 59 परसेंट जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हो चुकी है। लू और गर्मी के महीने में बारिश और ठंड क्यों बढ़ रही है। यह बेमौसम बारिश कितने दिन रहेगी इसके बारे में मौसम वैज्ञानिको की क्या राय है इसके बारे में हम आपको बताते है।
देश के ज्यादातर हिस्सों में अप्रैल-मई में बेमौसम बारिश क्यों हो रही है?
इसका जवाब है मौसम वैज्ञानिक इसके लिए दो वजहों को जिम्मेदार बता रहे हैं इसमें एक लोकल वजह और दूसरी क्लाइमेंट चेंज।
लोकल रीजन यह है कि फिलहाल इस मौसम में बारिश के लिए वेस्टर्न डिस्टरबेंस जिम्मेदार है। इस बार अप्रैल महीने में लगातार पांच वेस्टर्न डिस्टरबेंस आए हैं और अभी और आना जारी है जो कि पिछले साल के मुकाबले अधिक है।
स्काईमेट के प्रवक्ता महेश पलावत के मुताबिक वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से साइक्लोनिक सरकुलेशन यानी चक्रवर्ती हवा में बन रही है। यह हरियाणा और पंजाब के ऊपर बनी हुई है इस वजह से उत्तर से पश्चिम भारत बारिश का दौर बना हुआ है।
ये वेस्टर्न डिस्टरबेंस तो हर साल आता है फिर इस बार उत्तरी भारत में ज्यादा बारिश क्यों हो रही है?
इस बार गर्मियों में ज्यादा बारिश के पीछे मौसम वैज्ञानिक और एक्सपर्ट दो वजहों को जिम्मेदार बताते हैं…
उत्तरी भाग में वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर: मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे कहते हैं कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस हर साल सक्रिय होता है, लेकिन इस बार जो परिस्थितियां बनी हैं वह हर बार नहीं होती हैं। कई सालों बाद मई में इस तरह के हालात बने हैं।
सामान्य रूप से जो चक्रवाती हवाएं बनती हैं वो काफी कम लैटिट्यूड पर बनती हैं जिसका सेंटर अक्सर चेन्नई के आसपास होता है। नतीजा मई के महीने में उत्तर भारत के राज्यों में इतनी ज्यादा बारिश नहीं होती है और वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर कर्नाटक, केरल तक ही सिमट जाता है। वहां आम की फसलों को इससे नुकसान भी पहुंचता है इसलिए दक्षिणी राज्यों में प्री-मॉनसून रेन को ‘मैंगो शॉवर’ भी कहा जाता है।
बारिश का दौर यह कितने दिन तक जारी रहेगा ?
मौसम विज्ञानियों की मानें तो 5 मई के बाद धीरे-धीरे मौसम गर्म होने लगेगा। मई के दूसरे हफ्ते में बारिश में कमी आने लगेगी । मई के दूसरे हफ्ते तक हीटवेव भी शुरू हो जाएगी। इस ट्रेंड के बढ़ने से उत्तर भारत के राज्यों में गर्मी भी पड़ने लगेगी। मौसम वैज्ञानिक की माने तो धीरे-धीरे पैटर्न बदल रहा है गर्मी के समय गर्मी नहीं पड़ रही है ,बरसात के समय बरसात नहीं हो रही है यह इसी बदलाव का असर है।
स्काईमेट के प्रवक्ता महेश पालावत का कहना है कि से क्लाइमेट चेंज का असर कहा जा सकता है लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी वजह है कि हमारे पास इस बदलाव को साबित करने के लिए पिछले सालों का कोई डाटा नहीं है। यह निश्चित रूप से देखा जा सकेगा पिछले 20 सालों से लेकर 30 साल तक अध्ययन किया और क्लाइमेट चेंज की वजह से मौसम के बदलाव को साबित किया जाए।
क्या अभी होने वाली बारिश से मानसून में देरी होगी या कम बारिश होगी?
मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे का के मुताबिक सामान्य मानसून के लिए हीटिंग बहुत जरूरी है। इस बार अप्रैल ज्यादा गर्मी नहीं पड़ी। मई के शुरुआत में भी बारिश हो रही है। ऐसे में, इस बार मानसून सामान्य से कम रह सकता है। जो तपिश होनी चाहिए थी, वो नहीं वो रही। और इसका असर कम मानसून के रूप में सामने आएगा।