आखिर बाइक्स क्यों हुयी दिल्ली में बैन वही दिल्ली से कुछ दुरी के राज्यों में हो रहा है बाइक टैक्सी

फर्ज कीजिए आपको अपने शहर में साथ 60 किलोमीटर दूर किसी जगह जाना हो क्या आप का किराया 200 से 250 तक होगा लेकिन उस से दूरी को कम खर्च और जल्दी तय करना हो तो जवाब होगा बाइक टैक्सीकैब से आधे से भी कम किराया…व्यस्त ट्रैफिक में भी बेहतर मोबिलिटी…ये दो ऐसी खूबियां हैं जिन्होंने बाइक टैक्सी को भारत में तेजी से पॉपुलर किया है। लेकिन लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ बाढ़ के बाइक टेक्सी ऑपरेशन पर भी कंफ्यूज की तेजी से बढ़ा है।दिल्ली में हाल ही में बाइक टैक्सी के संचालन पर रोक लगा दी है मगर दिल्ली से बिल्कुल सटे और नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में शामिल गुरुग्राम या नोएडा में बाइक टैक्सी चलाने की परमिशन है।
रजिस्ट्रेशन वाले विकल्प का इस्तेमाल किया जा सकता है
दिल्ली सरकार का तर्क है कि टैक्सी के दौर पर सिर्फ कर्मिशियल रजिस्ट्रेशन वाले विकल्प का इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि टैक्सी के तौर पर बाइक्स कर्मिशियल नहीं रजिस्ट्रेशन वाले हैं। ये तर्क देने वाला दिल्ली अकेला राज्य नहीं है इससे पहले तमिलनाडु ,महाराष्ट्र ,चंडीगढ़ में भी इसी तरह पर बाइक टैक्सी बेन कर चुके हैं लेकिन यदि ये तर्क सही है तो क्या बाकी राज्यों में चल रही बाइक टैक्सियां अवैध हैं? यही नहीं बाइक टैक्सी के अलावा फूड से लेकर ई कॉमर्स डिलीवरी में भी ज्यादा बाइक्स का इस्तेमाल होता है। यह माल ढुलाई की केटेगरी में आता है और कर्मिशयल विकसित किया जा सकता हैदेशभर में 10 लाख से ज्यादा रजिस्टर बाइक टैक्सी ड्राइवर से फोटो ई-कॉमर्स डिलीवरी में लगी बाइक्स को शामिल करें तो यह संख्या एक करोड़ से भी ज्यादा हो सकती है।
बाइक सर्विस इंडस्ट्री का आकार भी हर साल तेजी से बढ़ रहा है
अगर दिल्ली सरकार का तर्क यही हो तो सभी बाइक्स ड्राइवर्स कानून तोड़ रहे लेकिन सच्चाई यह है कि नहीं है केंद्र सरकार ने टू व्हीलर्स की कर्मिशियल रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है। लेकिन दिल्ली समेत कई राज्य इस नियम को मानते ही नहीं है लोगों के लिए बड़ी सुविधा बन चुकी बाइक सर्विस इंडस्ट्री का आकार भी हर साल तेजी से बढ़ रहा है।
बाइक टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर रैपीडो देश के 100 से ज्यादा शहरों में अपडेट करती है रैपीडो दावा करता है जिसके साथ 10 लाख ड्राइवर से एक करोड़ से ज्यादा कस्टमर से जुड़े हैं। इसी तरह 2016 में 3 शहरों से शुरुआत करने वाली ओला बाइक आज देश के 200 से ज्यादा शहरों और कस्बों में अपनी सर्विस दे रही है उबर मोटो भी 30 से ज्यादा शहरों में मौजूद है और लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। 2015 के बाद से देश में बाइक टैक्सी सर्विस देने वाले स्टार्ट की शुरुआत हुई थी 2017 तक 40 कंपनियां इस फील्ड में उतर चुकी थी हालांकि बड़े प्लेयर्स ओला बाइक उबर, मोटो ,रैपीडो ही रहेगा। मोबिलिटी इंस्टिट्यूट का दावा है कि बाइक टैक्सी मार्केट 33 जार करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू पैदा कर सकता है 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकता है।
केंद्र का बनाया नियम मानते क्यों नहीं राज्य…
क्योंकि व्हीकल्स पर कानून बनाना राज्यों के हाथ में
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि वाहनों का विषय समवर्ती सूची के तहत आता है। इस सूची में शामिल विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। केन्द्र सरकार के बनाए कानून और नियमों को राज्यों की सहमति से ही लागू किया जा सकता है। ऐसे में यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वो मोटर व्हीकल को लेकर केंद्र सरकार के नियमों और सुझावों का मानते हैं या नहीं।