
एकनाथ शिंदे इस समय यह नाम काफी सुर्खियों में है आज हम आपको इनकी बारे में पूरी कहानी बताते हैं 2000 की बात है एकनाथ शिंदे ने अपने 11 साल के बेटे रितेश 7 साल की बेटी शुभदा के साथ सतारा गए थे वहां पर वोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और उनके दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए उस वक्त उनका तीसरा बच्चा श्रीकांत सिर्फ 14 साल का था एक इंटरव्यू में इस दर्दनाक घटना को याद करते हुए कहा था कि वो मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था मैं पूरी तरह से टूट चुका था मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला किया राजनीति भी अब इस घटना को 22 साल हो चुके हैं।
फिलहाल एकनाथ शिंदे ने शिवसेना उद्धव ठाकरे कि सिंहासन को हिला कर रख दिया है एक समय राजनीति छोड़ने का फैसला कर चुके शिंदे का कद शिवसेना में इतना बड़ा कैसे हो गया इसके बारे में आज हम आपको बताते हैं कैसे वो पार्टी के करीब दो तिहाई विधायकों को अपने पाले में करने में कामयाब हो गए शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ भी महाराष्ट्र के सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका के रहने वाले हैं लेकिन उनकी कर्मभूमि ठाणे ही रही शुरुआत में ठाणे में ऑटो चलाते थे लेकिन शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे से प्रभावित होकर उन्होंने शिवसेना ज्वाइन कर ली शिवसेना शाखा प्रमुख आनंद दिघे राजनीति वापस लाए थे अचानक 26 अगस्त 2001 में हादसे में दिघे की मौत हो गई उनकी मौत को आज भी कई लोग हत्या मानते हैं।
दिघे की मौत के बाद शिवसेना को ठाणे में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए और भी कोई चेहरा चाहिए था ठाकरे परिवार ठाणे को ढुलमुल रवैये के साथ नहीं छोड़ सकता था क्योंकि ठाणे महाराष्ट्र का एक बड़ा जिला है लिहाजा उनकी राजनीति विरासत शिंदे को ही मिली शिंदे ने भी विरासत के बीज को ठीक से रोपा और सींचा भी सिंधी भी अपने गुरु की तरह जनता के नेता रहे साल 2004 में पहली दफा विधायक बने उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा देखते ही देखते वह ठाणे में ऐसा वर्चस्व बना लिया कि वहां की राजनीति का केंद्र बन गए 2009 ,2014 और 2019 विधानसभा चुनाव में भी जीत का सेहरा उन्हीं के माथे बंधा मंत्री पद पर रहते हुए शिंदे के पास हमेशा अहम विभाग रहे। साल 2014 में फडणवीस सरकार में PWD मंत्री रहे 2014 में भी सरकार में पीडब्ल्यू मंत्री भी रहे थे इसके बाद 2019 में शिंदे को सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और नगर विकास कार्य मंत्रालय का जिम्मा मिला महाराष्ट्र में आमतौर पर यह विभाग सीएम अपने पास रखता हैअपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए शिंदे ने अपने बेटे को भी मैदान में उतार दिया पेशे से डॉक्टर श्रीकांत शिंदे कल्याण लोकसभा सीट से सांसद है कहा तो यह भी जा रहा है कि शिंदे के बागी होने के पीछे उनके बेटे श्रीकांत का दबाव है।
श्रीकांत का कहना है कि भाजपा के साथ उनकी राजनीति का सुनहरा भविष्य है भाजपा ने भी खासकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने श्री कांत शिंदे को हमेशा ताकतवर ही किया है फडणवीस जानते थे कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए शिंदे सबसे मजबूत कड़ी है भाजपा ने कई मौकों पर कहा है कि शिंदे को साइडलाइन किया जा रहा है भाजपा ने शिंदे को भी एहसास करवाया है शिवसेना कि उनमें कोई खास अहमियत नहीं है जब चारों और माहौल बन गया शिंदे ठाकरे से नाराज है और कभी भी छोड़कर जा सकते हैं तो ठाकरे ने शिंदे से दूरी बना ली महाराष्ट्र के जिले थाने से सियासी सफर शुरू करने वाले शिंदे को ठाकरे का मैसेंजर दूत कहा जाता था जब भी किसी जिले में कोई भी सियासी संकट होते तो शिंदे ही जाया करते थे ऐसा कोरोना के दौरान देखने को मिला होगा पिछले 2 सालों में मुख्यमंत्री ठाकरे ना कोई बड़ी बैठक की और ना ही विधायकों से लगातार उनकी समस्याएं सुनीं उन्होंने विधायकों का जीत लिया और बगावत के लिए तैयार कर लिया।