
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत भौगोलिक स्थिति को देखते हुए रूस जैसे मुद्दों पर सधा हुआ रुख अपना रहा है उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका भारत के रूप में एक मित्र चाहता है तो उसे समझना चाहिए कि दोस्त को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए सीताराम विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका पहुंची थी।
वाशिंगटन में भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय से रिश्ते आगे बढ़ने के साथ-साथ मजबूत हैं और यूक्रेन युद्ध के बाद अधिक अवसर पैदा हुए हैं अमेरिका दौरे पर वित्त मंत्री ने कई द्विपक्षीय बैठकें कीं और विभिन्न बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लिया उन्होंने बाइडेन प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारियों का साथ संवाद भी किया द्विपक्षीय संबंधो से जुड़े एक सवाल पर सीतारमण ने कहा कि है माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते आगे बढ़े हैं और गहरे भी हुए हैं इन पर कोई भी सवाल नहीं उठा रहा है लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर पारंपरिक निर्भरता ही नहीं भारत के कई दशक पुराने रिश्ते भी हैं और यदि वे थोड़े विश्वास के साथ कुछ भी कह सकती हूं कि यह एक सकारात्मक संबंध है यह नकारात्मक समझ नहीं है।
सीतारमण ने कहा कि मुझे लगता है कि अधिक से अधिक अवसर पैदा हो रहे हैं बजाय इसके कि अमेरिका हमसे यह कहते हुए दूरी बना रहा है कि हमरूस पर सधा हुआ रुख अपना रहे हैं और ऐसा नहीं लगता है कि हम उसके करीब जा रहे हैं वहीं वित्त मंत्री का यह बयान यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के सीधे तौर पर निंदा करने से भारत के रूसी तेल की खरीद के नई दिल्ली के फैसले को लेकर अब पश्चिमी देशों की बढ़ती बेचैनी के बीच आया है अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता रूस पर निर्भरता बंद करें सीता रमन के मुताबिक अमेरिका के साथ भारत के संबंध प्रतिदिन सुधर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह मान्यता की है कि एक दोस्त है लेकिन उस दोस्त की भौगोलिक स्थिति को समझना होगा और एक दोस्त को किसी भी वजह से कमजोर नहीं किया जा सकता है उन्होंने कहा कि हम जिस स्तिथि है उसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किसी के पास कोई विकल्प नहीं हो सकता है पश्चिमी सीमा लगातार विषम परिस्थितियों में है और कभी कभार अफगानिस्तान में आतंकवादी वारदातों से निपटने के लिए दिए गए उपकरणों का इस्तेमाल के लिए किया जा रहा है उन्होंने कहा कि भारत के पास अपनी भौगोलिक स्थिति बदलने का कोई विकल्प नहीं है और भारत यकीनन अमेरिका के साथ दोस्ती चाहता है।