
औषधीय पौधों की खेती आज एक बिजनेस का रूप ले चुकी है आधुनिक तरिके से बिना रसायनों के पैदा की जाने वाली फसलों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है लोगो का आयुर्वेद की तरफ खींचाव औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दे रहा है
अगर आप भी खेती को अपना प्रोफेशन बनाना चाहते है तो आपको स्टीविया की खेती करनी चाहिए चीनी का ऑप्शन बन चुके स्टीविया की मांग तेजी से बढ़ रही है देश -दुनिया में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण स्टीविया की मांग लगातार बढ़ती जा रही है यही कारण है की इंडिया में अब इसकी खेती बड़े स्तर पर होने लगी है जापान कोरिया ताईवान और अमेरिका में स्टीविया का उत्पादन ज्यादा होता है
स्टीविया की खास बात यह है की यह न केवल सामान्य चीनी से ज्यादा मीठी है बल्कि ये पूरी तरह से कैलोरी रहित भी है स्टीविया डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है मसूड़ों ,ब्लड प्रेशर में होने वाली बीमारियों और चर्म संबंधी रोग के लिए भी स्टीविया असरदार औषधि है
एक एकड़ में स्टीविया के 40000 पौधे लगते है जिसमें करीब 1 लाख रूपये का खर्चा आता है स्टीविया का पौधा कलम से तैयार होता है स्टीविया के पौधे से कलम काटकर उसे पॉलीथिन की थैली या फिर ट्रे में रोपा जाता है यह कलम तैयार होती है और इसमें पत्ते निकल आते है तो इसे खेत में रोपा जाता है पौधे मेड़ पर लगते है पौधे से पौधे की दुरी 15 सेन्टीमीर की होती है एक लें से दूसरी लाइन के बीच दुरी 40 सेंटीमीटर की होती है
स्टीविया का पौधा लगाने के लिए फरवरी -मार्च का समय सबसे अच्छा होता है स्टीविया का पौधा 60 से 70 सेंटी मीटर लंबा होता है एक बार लगाने के बाद यह पौधा कई सालों तक उत्पादन देता है यह पौधा झाड़ी की तरह होता है जिस पर बहुत सारे पत्ते होते है
स्टीविया की एक एकड़ में खेती करने पर खर्च करीब 1 लाख रूपये का हो जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके 40 हजार पौधे एक एकड़ में लगते है स्टीविया के एक एकड़ खेत में साल में आराम से 6 लाख रूपये की कमाई होती है अगर 1 लाख रूपये इसके खर्च के अलग कर दे तो 5 लाख रूपये का फायदा मिलता है