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Unique village in india :भारत के इस गाँव लोग रोज सुबह शाम लगाते है विदेश के चक्कर ,नहीं लगता कोई वीजा पासपोर्ट

 

भारत के कई ऐसे अनोखे गांव जिनके बारे में सुनकर लोगों को यकीन नहीं होता।  यहां भी एक ऐसे ही गांव के बारे में बताया जा रहा है , लोगों कीसुबह हिंदुस्तान में होती है लेकिन शाम विदेश में होती है। किसी एक दिन की बात नहीं है बल्कि ऐसा रोज ही होता है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि इस गांव के लोगों को विदेश में जाने के लिए वीजा और पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं होती है। 

यह इलाका घने जंगलों वाला है और म्यांमार की सीमा से सटा हुआ है

नागालैंड राज्य के लोंगवा नामक गांव के लोग हर रोज विदेश यात्रा पर रहते है।  इस गांव की सीमा भारत और म्यांमार से लगती है। गांव का आधा हिस्सा भारत में तो आधा हिस्सा म्यानमार में मौजूद है। इसका ओके मैं इसके अलावा कोई अन्य खास बातें भी ह।  यहां सदियों से एक क्रूर परंपरा चली आ रही है इसमें गांव के लोग अपने दुश्मनों के सिर को कलम कर देते थे। हालांकि हिंसात्मक परंपरा को साल 1940 में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था। आपको बता दें लोंगवा गांव नागालैंड के मोन जिले में मौजूद है।  यह इलाका घने जंगलों वाला है और म्यांमार की सीमा से सटा हुआ है। 

कोयंक आदिवासी समाज को हेडहंटर्स के नाम से भी जाना जाता है

भारत का आखिरी गांव  भी इसे ही कहा जाता है। साल 1969 के बाद से यहां पर  हेड हंटिंग या  सिर काटने जैसी घटना दोबारा देखने को नहीं मिली है।  इस गांव में रहने वाले  रहन -सहन किसी आदिवासी  समाज के जैसा है जो कबीले की परंपरा को अब तक निभाते चले आ रहे हैं। यहां पर आने वाला कोयंक आदिवासी समाज को हेडहंटर्स के नाम से भी जाना जाता है। यह कबीले के  सत्ता का विस्तार करने के लिए अपने दुश्मनों पर आक्रमण करते हैं और उनका सिर धड़ से अलग कर देते हैं। 

म्यांमार-भारत की सीमा पर बने बॉर्डर पिलर पर एक ओर हिंदी में संदेश लिखा गया है

आपको यहां पर भी यह बात अजीब लगेगी की लेकिन इस गांव का कुछ हिस्सा भारत में है और कुछ म्यानमार में है। गौरतलब है कि बंटवारे के दौरान अधिकारियों ने इस गांव के लिए कुछ खास नियम तय किए थे और इसमें उन्होंने तय किया कि भारत-म्यांमार  की सीमा रेखा इस गांव के ठीक बीच से होकर निकलेगी लेकिन इसका असर गांव के लोगों पर नहीं पड़ेगा। स गांव से गुजरने वाली म्यांमार-भारत की सीमा पर बने बॉर्डर पिलर पर एक ओर हिंदी में संदेश लिखा गया है, वहीं दूसरी ओर बर्मीज में मैसेज दिया गया है। आपको बता दें कि बर्मीज म्यांमार की राजभाषा है। बात कोयांक आदिवासियों की करें तो यहां पर बहू पत्नी प्रथा प्रचलित है यानी कि इस गांव के लोग एक से अधिक विवाह कर सकते हैं।  इसके अलावा इस गांव के लोगों से जुड़ी एक और दिलचस्प बात ये है कि यहां के लोगों को भारत और म्यांमार दोनों देशों की नागरिकता मिली हुई।