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इस गांव को जाना जाता है मिलिट्री गांव के नाम से हर शख्स को दी जाती है स्कुल में ही फौज में जाने की ट्रेनिंग

 

भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करने वाले लाखों युवाओं का सपना है।  बहुत से युवा भारतीय सेना में भर्ती की तैयारी के लिए दिन रात एक कर देते हैं। इसके बाद भी  ऐसा यह सपना पूरा नहीं कर पाते। लेकिन भारत में यह एक ऐसा गांव है इसके लगभग हर परिवार का एक सदस्य सेना में सेवा दे रहा है। यहां की हवाओं का सबसे बड़ा लक्ष्य भारतीय सेना में भर्ती होना है। इसलिए तो इस गांव का मिलिट्री गांव के नाम से जाना जाता है। 

प्रथम विश्वयुद्ध में 46 और द्वितीय विश्वयुद्ध में 4  लोग शहीद हुए थे  

महाराष्ट्र के  सतारा जिले में स्थित इस गांव का नाम आपशिंगे हैं। इस गांव के लोगों का भारतीय सेना में जाने का सिलसिला पीढ़ियों से चला रहा है। आपशिंगे के गांव में कुल 350 परिवार रहते हैं जिनमें करीब 3000 लोग है। यहां अनोखा गांव सातारा शहर से केवल 15 किलोमीटर दूर मौजूद है। इस गांव के इतिहास में जन्म में दर्ज है कि इस गांव में जन्मे सुरमा देश के लिए अपनी जान दांव पर लगाते रहे हैं।आप शिंगे  गांव के लोगों लोग पीढ़ियों से सेना में भर्ती होते आ रहे हैं। इस गांव से प्रथम विश्वयुद्ध में 46 और द्वितीय विश्वयुद्ध में 4  लोग शहीद हुए थे। तभी से इस गांव का नाम मिलिट्री आपशिन्गे के रख दिया गया था। इसके साथ 1962 में भारत-चीन युद्ध हो या पाकिस्तान के साथ हुई। 1965 ,1971 की जंग में  इस गांव के बेटों ने सभी में देश के लिए हंसते-हंसते अपनी जान गंवा  दी। 

बच्चों को स्कूल में ही सेना में जाने की ट्रेनिंग दी जाने लगती है

रिपोर्ट के अनुसार आपशिंगे  के गांव के बच्चों को स्कूल में ही सेना में जाने की ट्रेनिंग दी जाने लगती है। उन्हें  परेड और ड्रिल का अभ्यास कराया जाता है। इस गांव की सैन्य परंपरा कुछ ऐसी है जिसे डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ,शिक्षक का बेटा शिक्षक और इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनता है। गांव के लोग सेना ,एयरफोर्स ,नेवी ,बीएसएफ ,सीआईएसएफ सहित सभी आर्म्ड फोर्सेज में विभिन्न प्रकार के पदों पर है। सतारा जिले के मिलिट्री आपशिन्गे   गांव एक बार फिर से चर्चा में है। दरअसल भारतीय सेना के दक्षिणी कमान प्रमुख जनरल कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार हाल ही में इस गांव में पहुंचे थे. यहां उन्होंने एक लर्निंग सेंटर और जिम का उद्घाटन किया था।  बता दें कि पश्चिम महाराष्ट्र के जिलों के युवाओं को एक दिशा देने के लिए इस गांव में इंस्टीट्यूशनल सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (ISR) का सेटअप तैया किया गया है।  इस पर करीब 80 लाख का खर्च आया है. यह सेटअप श्री शनमुखानंद ललित कला, संगीता सभा और दक्षिण भारतीय शिक्षा सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से तैयार किया गया है।