इस मंदिर को बनाया है पानी में तैरने वाले पत्थरो से ,जिसे देख वैज्ञानिक भी है अचम्भित

भारत तरह तरह के अजूबो से भरा हुआ है यहां के मंदिरो की बनावट और गुणवत्ता तो वैज्ञानिकों के समझ में भी नहीं आती है ऐसे में आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताते है पानी पर तैरने वालो पत्थरो से बनाया गया। तेलंगाना के पालमपेट गांव में स्थित रामप्पा मंदिर में यूनेस्को द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमे देश-विदेश से भी लोग यहां आए हुए हैं। यहां हम आपको मंदिर के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।
इसका निर्माण 1213 में आंध्र प्रदेश के राजा गणपति देव ने करवाया था
रामप्पा को रामलिंगेश्वर मंदिर भी कहते हैं इसका निर्माण 1213 में आंध्र प्रदेश के राजा गणपति देव ने करवाया था। इसी बनाने वाले शिल्पकार रामप्पा के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर कहते हैं। जुलाई 2019 में इस मंदिर को यूनेस्को ने अपने विश्व धरोहर में शामिल कर लिया इसकी चलते यह मंदिर और भी खास के हो गया। दूर-दूर से लोग मंदिर को देखने आते हैं। इस मंदिर कीभव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 13 वी सदी में भारत आए इटालियन खोजकर्ता मार्को पोलो ने इसे मंदिरों की 'आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा 'कहा था।
800 सालों से यह मंदिर आज भी वैसा ही है। पुरातत्व विभाग ने जब इसकी मजबूती का कारण जानने के लिए रिसर्च की तो पता चला कि यह मंदिर पानी पर तैरने वाले पत्थरों से बनाया गया है। लगभग सारे प्राचीन अपने मंदिर तो अपने भारी पत्थरो के वजन की वजह से टूट गए। लेकिन रामप्पा मंदिर का निर्माण बेहद हल्के पत्थरों से किया गया है। इसलिए यह मंदिर टूटा नहीं है। यह मंदिर 6 फीट ऊँचे तारे जैसे मंच पर बनाया गया है जिसमें दीवारों , स्तंभ और छतो पर खूबसूरत नक्काशी की के जो उस समय के मूर्तिकारों के कौशल को दर्शाती है।