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ये है देश का पहला हिल स्टेशन जो बनाया गया था अंग्रेजो द्वारा ,यहां की खूबसूरती देख भूल जायेंगे स्विट्जरलैंड

 

भारत का पहला हिल स्टेशन इतना खूबसूरत है कि वहां जाने के बाद अब शिमला और मनाली को भूल जाएंगे। प्रकृति की गोद  में बसी यह जगह स्वर्ग से  कम नहीं है। यह की वादियां आपको अपना दीवाना बना लेगी। 'पहाड़ों की रानी' नाम से मशहूर इस जगह एक बार आने के बाद वापस जाने का मन ही नहीं करता है। इस जगह से बनने की कहानी में बेहद दिलचस्प है यहां पर हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में बने मसूरी की जिसे देश का हिल स्टेशन कहा जाता है। 

 यहां ऊंचे पहाड़ हर तरफ हरियाली और सुहानी हवाएं हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां  जानते क्या है मसूरी की कहानी। 

भारत का पहला हिल स्टेशन अंग्रेजो  की देन है। जब भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता तब गर्मी के दिनों में अंग्रेज अपनी फैमिली के साथ ही जगह जाया करते थे और वक्त बिताते थे। पैसे  कमाने और बिजनेस शुरू करने के लिए उन्होंने छोटे-बड़े सभी तरह की रिसोर्ट बनवाए थे। किसी जगह को अगर हिल स्टेशन बनाना हो तो उसके लिए शोर शराबा से दूर रहना चाहिए और वहां का शांति का माहौल है वहां  हरियाली होनी चाहिए और मौसम सुहाना होना चाहिए। यह ऐसी जगह होनी चाहिए जहां जाकर हर कोई फ्रेश फील करें। मसूरी में ये सारी खूबियां है इसलिए अंग्रेजों ने 1823 में से हिल स्टेशन का दर्जा दे दिया। 

करीब 100 साल पहले भारत में  पहाड़ हुआ करते थे

करीब 100 साल पहले भारत में  पहाड़ हुआ करते थे ज्यादातर आबादी गांव में रहा करती थी। तभी  ब्रिटिश शासन चलता था उन्होंने हिल स्टेशन का कॉन्सेप्ट दिया। 19वीं सदी  में उन्होंने गर्मी से बचने के लिए  इसकी  स्थापना की।  कहा जाता है कि ब्रिटिश ने 1820 में मसूरी की में जमीन खरीद कर उसे हिल  स्टेशन बनाने का काम शुरू किया जो 1823 तक चले। आपको जानकर हैरानी होगी कि मसूरी को सबसे पहले झोपड़ी की तरह  बसाने  का काम शुरू हुआ यंग कप्तान और शोर ने पहले झोपड़ी यहां बनवायी थी।  कुछ समय बाद ही अंग का यहां घर बन गया और धीरे-धीरे यहां  ब्रिटिशर्स  आने लगे और इसका विकास होता गया। सबसे पहले अंग्रेजों ने आगे सेब के पेड़ लगवाए थे यहां इस जगह देवदार की पेड़ भी खूब है । यहां घूमने  के लिए कैंप्‍टी फॉल, नाग टिब्‍बा, मसूरी लेक जैसी एक नहीं कई जगहें हैं साल भर  यहां के आने का सिलसिला चलता रहता है।