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बीकानेर के ये समौसे कचोरी नहीं होते 2 महीने तक खराब ,होता है करोड़ो का व्यापार ,यहां जाने कैसे बनते है

 

बीकानेरी  नमकीन पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान में स्वाद के लिए मशहूर है। यहां  की भुजिया तो विश्व प्रसिद्ध है। गुझिया  के अलावा यहां किसके समोसे और कचोरी  भी काफी प्रसिद्ध है। बीकानेर के लोग सूखे  समोसे और कचोरी को ड्राई फ्रूट्स के साथ बड़े चाव से खाते हैं। खासकर त्योहारों की सीजन में  समोसा कचोरी की डिमांड विदेशों तक रहती है। कई लोग विदेशों में बैठे अपने रिश्तेदारों के यहां से स्पेशल के समोसे कचोरी भेजते हैं। 

समोसे की कचोरी का हर साल करोड़ों का कारोबार होता है

इतना ही नहीं इसके समोसे की कचोरी का हर साल करोड़ों का कारोबार होता है। दुकानदार गणेश अग्रवाल ने बताया कि इसकी खासियत यह है कि कई महीनों तक खराब नहीं होते हैं । यह साइज में नार्मल समोसा और कचोरी की तुलना में काफी छोटी होती है और आधा इंच के समोसा और कचोरी होती है। इनको लोग अपने मेहमानों की आवभगत करने के लिए ड्राई फ्रूट्स के साथ ज्यादा उपयोग लेते हैं। 

होली और दीपावली और अन्य बड़ी त्योहारों पर इसकी ज्यादा डिमांड रहती है। हर घर में आपको छोटी कचोरी और समोसा मिल जाएगा। गणेश ने बताया कि उनकी बीकानेर में  सट्टा बाजार में 100 साल पुरानी दुकान है। उनकी दुकान पर मोहर और बेसन का मसाला डालकर समोसा और कचोरी बनाई जाती है जो कि सूखा मसाला होता है। वे बताते हैं कि रोजाना 30 किलो समोसा और कचोरी निकल जाती है यहां समोसा और कचोरी ₹200 किलो है एक समोसा और कचोरी ढाई रुपए कम कीमत पर पड़ता है। 

सूखे मसालों के साथ होता है फ्राई

ये स्पेशल कचौरी व समोसे बनाने के लिए मैदा, मोगर और बेसन का सूखा मसाला उपयोग में लिया जाता है। इसके बाद घी और तेल में फ्राई किया जाता है. करीब आधे घंटे के बाद ये तैयार हो जाते हैं. इनकी खासियत है की यह गर्मा गर्म नहीं बल्कि ठंडी और कई दिन सुखाने के बाद ज्यादा स्वादिष्ट लगती हैं। गणेश बताते हैं इस दुकान में अब तीसरी पीढ़ी यह सूखे मेवे और नमकीन बेच रहे हैं।  इससे पहले मेरे दादाजी, फिर पिताजी और अब मैं स्वयं नमकीन बेच रहे है।