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Success Story:बेटे ने जताई सब्जी की खेती छह तो पहले पिता ने घुमाया पूरी दुनिया ,अब कमा रहे है लाखो रूपये

 

बिहार के  सीतामढ़ी  जिले के डुमरा प्रखंड के गोसाईपुर टोला के गणेश महत्व की सब्जी की खेती की  एक अलग  पहचान  है। सब्जी का बेहतर उत्पादन और नई तकनीक को सबसे पहले लागू करने के लिए भी उन्हें जाना जाता है। नेट बिछाकर सब्जी की खेती उन्होंने की  देन है  उनके  बाद ही अन्य किसान नेट का उपयोग करने लगे। अब पूरे जिले में नेट की तकनीक फैल  चुकी है।   गणेश महतो  7 एकड़ सब्जी का उत्पादन करते हैं। इससे प्रतिवर्ष 7 से 10  लाख रुपए की कमाई करते हैं।  उनके दो पुत्र हैं। बड़ा पुत्र डेकोरेटर है। वह सब्जी खेती में हाथ बंटाता है। छोटा बेटा सुंदर कुमार इंटर तक पढ़ाई की और सब्जी में खेती से जुड़ने की इच्छा हुई कि तब महतो `ने बेटे को कहा की खेती से जुड़ने से पहले इसे  समझना जरूरी भी है। 

5 वर्ष पूर्व में पुत्र सुंदर को एमपी और मुंबई ले गए

वे चाहते थे की पुत्र ये  समझ ले की खेती में कितनी  मेहनत ,खर्च और आय  हैं तब। इससे जुड़े। इस सोच के साथ 5 वर्ष पूर्व में पुत्र सुंदर को एमपी और मुंबई ले गए। वहां  खेती की तकनीक से रूबरू  करवाया। एमपी में ही मैचिंग और नेट पर सब्जी की खेती को देखा।फिर घर पर पहुंच कर सुंदर ने यूट्यूब पर मैचिंग के बारे में जानकारी ली।  बता दे की खेतों में हत्था  बांधकर ऊपर में बीज  लगाया जाता है। फिर उसे खास प्लास्टिक से रखा जाता है। प्लास्टिक अंदर और बाहर सिल्वर तथा काला होता है। इसे  ही मैचिंग कहते हैं।  पहली बार नेट पूर्वी चंपारण के मधुबन से नेट की खरीदी थी। युवा सुंदर ने 5 साल पहले पिताजी सब्जी की खेती की बागडोर संभाली। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

सुंदर पहली बार बेंगलुरु से ऑनलाइन प्लास्टिक की खरीद की

महतो के कारोबार को सुंदर फर्म के नाम से जाना जाता है। सुंदर पहली बार बेंगलुरु से ऑनलाइन प्लास्टिक की खरीद की और खेती शुरू की पहले काफी कम खेत में सब्जी करते थे। बाद में सुंदर ने तीन एकड़ में खेती शुरू की। बेहतर लाभ मिलने पर चार एकड़ खेत लीज पर ले लिया। इसका सालाना 64000 मलिक को देता है। बताया की 1 एकड़ में लौकी है। एक दिन में बेचकर 150 सौ से 200 पीस निकलते हैं। तीन एकड़ में करेला जैसे 4 दिन पर तोड़ा जाता है। 2 से 3 क्विंटल निकलता  है।  तीन एकड़ में खीरा है। एक दिन बच कर तीन दिन से चार क्विंटल तोड़ा जाता है।  सुंदर की माने तो सब्जी की खेती में प्रति कट्टा ₹2500 का खर्चा खेती में 50 फ़ीसदी की बचत है। रेट बढ़ने पर प्रॉफिट भी बढ़ जाता है। पूरी सब्जी खेत से व्यापारी ही  ले जाते हैं। खास बात है कि सुंदर सब्जी की खेती में खाद के रूप में केमिकल को दरकिनार कर वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करते हैं। खेत में पटवन के लिए बिजली युक्त मोटर है ,जुताई  के लिए छोटा सा मशीन है। ट्रैक्टर का उपयोग होता है। महतो ने बताया कि यह एक ऐसी  खेती जिसमें एक व्यक्ति को हमेशा लगा रहना पड़ता है। हालांकि इसकी आवाज में लाभ भी मिलता है। सुंदर  ने बताया घर परिवार के साथ रहकर हर साल 7 से 10 लाख के कमाई  हो रही है वह इससे काफी  खुश है।