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लोन लेने से पहले जाने ये जरूरी बाते नहीं तो घर में आ जाएगी आर्थिक तंगी

 

आजकल महंगाई के दौर इस दौर में बैंक लोन के सहारे घर या कोई भी चीज खरीदने का चलन बढ़ गया है। अगर आपकी कमाई अच्छी है और  आपका क्रेडिट स्कोर को भी बेहतर है तो बैंक के लोन देने वाले ने भी तो बैंक या लोन देने वाली अन्य वित्तीय संस्थान आपको आसानी से होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) या कोई दूसरी तरह की लोन देने को लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं जिसके बाद आपको इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट यानी ईएमआई (EMI) के जरिये लोन चुकाना पड़ता है आपको EMI  के जरिए लोन चुकाना पहली नजर में भले ही काफी आसान लगता है लेकिन किसी भीबड़े अमाउंट के लोन को हर महीने एक समान किस्त (EMI) के आधार पर चुकाने में आपको कई साल लग जाते हैं। 

 इस दौरान लोन पर लगने वाला इंटरेस्ट रेट भी आपका काफी अधिक होता है जिससे आपको अपने लोन अमाउंट के साथ ही बैंक को चुकाना पड़ता है। एसबीआई बैंक का कर्जा लोन लेने से पहले कैलकुलेशन करना जरूरी है कि आप अपनी आमदनी का कितना हिस्सा लंबे समय तक हर महीने EMI के तौर पर चूकासकते हैं। इस बात पर ध्यान दें कि आपके लोन की ईएमआई अधिक नहीं होनी चाहिए कि आपको अपनी दूसरी  आर्थिक जरूरतें पूरी करने में दिक्कत होने लगे  यहां हम आपसे कुछ जरूरी बातें आपको बताने जा रहे हैं जिसे लोन लेने से पहले आप को ध्यान में रखनी चाहिए। 

अपना मंथली बजट जरूर तैयार कर ले 

सबसे पहले यह जान लें की आपकी आमदनी के अनुसार आपको कितना लोन चाहिए। इसका अनुमान लगाने के लिए सबसे पहले अपने खर्चों का लेखा-जोखा तैयार करें। इसमें मकान , किराया ,राशन ,बिजली ,मोबाइल ,रसोई गैस जैसे यूटिलिटी बिल बच्चों की स्कूल फीस ,मेडिकल, ट्रीटमेंट समेत तमाम खर्चों को मिलाकर अपना मंथली बजट तैयार कर ले। तब जाकर इन तमाम खर्चों की लिस्ट आपके सामने होगी तो आपकी अपनी अनुमान लगाना आसान हो जाएगा कि आप लोन की कितनी EMI  बिना परेशानी के भर सकते हैं। 

क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च करके ईएमआई के भरने से बचें 

यह बात हमेशा ध्यान रखें कि लोन हमेशा उतना ही ले जितना आसानी से चुकाया जा सके उतना ही नहीं क्रेडिट कार्ड से बड़ी रकम खर्च करके EMI  के जरिए पेमेंट करने से हमेशा बचे  क्रेडिट कार्ड से बड़ी रकम खर्च करके EMI के जरिए पेमेंट करने से हमेशा बचें, क्योंकि क्रेडिट कार्ड की ऊंची ब्याज दरों   के कारण ऐसा करना अक्सर घाटे का सौदा साबित होता है। 

डेट-टू-इनकम (DTI) रेशियो कर देगा आपका काम आसान 

आप डेट टू इनकम रेशियो कैलकुलेटेड करके भी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि आप सेलेरी का कितना हिस्सा ही EMI में जाना चाहिए DTI से पता चलता है आय का कितने प्रतिशत हिस्सा लोन की अदायगी पर खर्च होता है । डीटीआई कैलकुलेट करने के लिए आपको सभी ईएमआई को जोड़ने के बाद यह देखना होगा कि यह रकम आप की कुल मासिक आमदनी के कितने प्रतिशत के बराबर है। एक सामान्य नियम है आपको डेट टू इनकम रिसीव को 35 से 40% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।