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इस एक इंडियन के खत की वजह से ट्रैन में अंग्रेजो ने बनाये थे बाथरूम ,यहां जाने आखिर क्या लिखा था उसे लेटर में

 

जब भी हमें एक दूसरे से शहर जाना होता है तो हम रेल का सहारा लेते हैं।  रेल का सफर काफी सस्ता और आरामदायक होता है।  इस यात्रा के दौरान ट्रेन के अंदर ही भोजन मिल जाता है पानी मिलता है  कई चीज खाने को मिल जाती है। फ्रेश होने के लिए हमें बाथरूम में मिल जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है की ट्रेन के अंदर बाथरूम कब से लगना शुरू हुआ। 

दरअसल एक भारतीय  के पत्र के कारण ट्रेन के अंदर बाथरूम को लगाया गया। आज हम आपको इसके सवाल के बारे में बताएंगे। 

दरअसल ब्रिटिश रेलवे को 1919 में एक ऐसा लेटर मिला जिसके बाद अंग्रेजों ने ट्रेन में टॉयलेट बनवाने के बारे मेंसोचने के लिए मजबूर होना पड़ा  बाद इस भारतीय का नाम ओखिल  चंद्र सेन था। इन्होंने एक परेशानी के कारण भारतीय रेलवे को एक पत्र लिखा जो आज भी काफी प्रसिद्ध है । ओखिल  चंद्र सेन ने पत्र में लिखा था कि , आदरणीय सर में ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन तक आया। उसे समय मेरे पेट में दिक्कत हुई ,मैं टॉयलेट करने बैठा ,इसी बीच ट्रेन खुल गई और मेरी ट्रेन छूट गई। गार्ड ने मेरा इंतजार भी नहीं किया मेरे  एक हाथ में लौटा था और दूसरे हाथ से में धोती पकड़ कर दौड़ा और प्लेटफार्म पर भी गिर गया और मेरा धोती भी खुल गई और मुझे वहां सभी महिला पुरुषों के सामने शर्मिंदा होना पड़ा और मेरी ट्रेन भी छूट गई। 

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इस वजह से  में अहमदपुर स्टेशन पर ही रह गया। यह कितनी बुरी और दुखद  बात है कि टॉयलेट करने गए एक यात्री के लिए ट्रेन का गार्ड  कुछ मिनट रुक भी नहीं। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उस  गार्ड  पर जुर्माना लगाया जाए वरना मैं यह बात  अखबारों में बता दूंगा। आपका विश्वसनीय सेवक, ओखिल चंद्र सेन  चंद्र सेन। 

इस खत के बाद अंग्रेजों ने इस बात पर विचार किया और तत्काल प्रभाव से ट्रेनों में टॉयलेट लगवाने का आदेश दे दिया। आखिर ओखिल   चंद्र सेन के कारण आज भारतीय ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा है आज हम मजे से ट्रेन में सफर कर सकते हैं।