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चंद्रयान 3 के साइंटिस्ट राकेश नैय्यर रोज पिलाते है इतने कैंसर रोगियों को चाय ,ऐसे मिली प्रेरणा

 

चंद्रयान-3 मिशन में शामिल इसरो के वैज्ञानिक राकेश नैय्यर बेंगलुरु के दवाई कैंसर अस्पताल में कैंसर रोगियों को चाय पिलाकर  खुश होते हैं।  मिशन चाय पहले के तहत नैय्यर ने  अपने साथियों के साथ मिलकर मरीजों को चाय नाश्ता उपलब्ध कराते हैं। बता दें की नैय्यर दादी के कहने पर प्रेरित हुई पिछले 7 साल से कैंसर रोगियों की मदद कर रहे हैं। उनका यह मिशन अब लगभग 1500 रोगियों के साथ ही दूसरे अस्पतालों तक भी पहुंचाया गया। अन्य अस्पतालों तक फैल गया है। चाय बांटने से शुरू हुई उनके पहले कैंसर मरीजों को भोजन ,दान और दूसरी जरूरत की चीजों तक पहुंच चुकी है। 

कैंसर हॉस्पिटल में मरीजों को चाय परोसकर सिर्फ उनके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं

इसरो साइंटिस्ट नैय्यर बेंगलुरु के किदवई से  कैंसर हॉस्पिटल में मरीजों को चाय परोसकर सिर्फ उनके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं बल्कि वह खुद मरीजों के साथ चाय पीते हैं और उनका दुख दर्द बांटते है  और हँसते हैं।  चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट में शामिल राकेश नैय्यर की पहल  कैंसर मरीज की जिंदगी में खुशी के पल बिखेर रही है। इसरो वैज्ञानिक ,राकेश नैय्यर  पिछले 7 सालों से कैंसर रोगियों के जीवन में रोशनी का जरिया बने हुए हैं  नैय्यर  अपनी सुबह की शुरुआत एक कप चाय के साथ करते हैं और कैंसर पेशेंट के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। मिशन चाय के जरिए उनका मकसद जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे लोगों को आराम और ट्रीटमेंट देना है।  100 लोगों को चाय परोसने से शुरू हुई उनकी यह मुहीम  1500 मरीजों तक पहुंच चुकी है राकेश नैय्यर ने इस नेक  काम में चंद्रयान-3 की कंट्रोल डिपार्टमेंट की महिला वैज्ञानिक मंजुला और उनके दोस्त भी शामिल है। वह हर दिन मरीजों को बादाम का दूध ,चाय ,बिस्कुट और अलग-अलग फल बांटते  हैं जिनकी लागत ₹2500 है । 

राकेश नैय्यर की सेवा के पीछे की प्रेरणा लगभग एक दशक पहले की है

किदवई कैंसर अस्पताल के मरीजों को राकेश नैय्यर और उनके साथियो द्वारा चाय का खास शौक है।राकेश नैय्यर को यह जानकर काफी खुशी होती है की दयालुता यह इस काम में चंद्रयान की सफलता में योगदान दिया है। राकेश नैय्यर की सेवा के पीछे की प्रेरणा लगभग एक दशक पहले की है। जब उनके ससुर पंजाब के अमृतसर में अस्पताल में भर्ती थी। वह गैंग्रीन के चलते अपना पैर काटने के बाद अस्पताल में संघर्ष कर रहे थे। इसी दौरान एक दादी अम्मा उनके पास पहुंची और  उन्होंने चाय ऑफर की।   दादी के इस सरल स्वभाव का नैय्यर के दिल-ओ-दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ा। साथ ही उनके ससुर को भी बहुत खुशी हुई। ही दादी अम्मा की उसे मुस्कुराहट को ध्यान में रखते हुए राकेश ने भी मरीज को चाय पिलाने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का काम को आगे बढ़ाने अपने मिशन के लिए सबसे पहले बेंगलुरु के कितने अस्पताल को चुना आगे चलकर उनकी यह पहल किदवई मतवा, संजय गांधी अस्पताल, हैदराबाद के एमएनजी अस्पताल तक पहुंच गई है।A