Movie prime

रेल की पटरियों पर आखिर क्यों डाले जाते है पत्थर ,यहां जाने हैरान करने वाली वजह

 

दौड़ती भागती दुनिया में ट्रेन एक ऐसा  माध्यम है जिस की सवारी करना हर कोई पसंद करता है। अगर आप कहीं लंबे टूर पर जाते हैं तो महीने पहले ही ट्रेन का टिकट करा लेते हैं जिससे आपको दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। ट्रेन की बदौलत ही आज इंसान अपनी आराम से अपनी नियत दूरी तय करता है जिसे बिना झटके की सवारी माना जाता है। 

सरकार भी लोगों की सहूलियत के लिए ट्रेनों की संख्या और ट्रैक हर साल बढ़ा  रही है

सरकार भी लोगों की सहूलियत के लिए ट्रेनों की संख्या और ट्रैक हर साल बढ़ा  रही है ऐसे में आपको रेल के कुछ रहस्य के जानना जरूरी है जिससे आप यात्रा करें तो चंद पलों में उसका मतलब आपको समझ में आ जाए।  आप जानते होंगे ट्रेन की ट्रैक पर जगह -जगह नुकीले पत्थर पड़े होते हैं क्या आपको इसकी वजह पता है आपको नहीं पता तो आज हम आपको बताते हैं। 

इन स्लीपर के नीचे पत्थर यानी की गिट्टी होती है जिसे ब्लास्ट बोला जाता है

दरअसल रेल की पटरी के नीचे कॉन्क्रीट के बने प्लेट होते हैं इन्हें हम स्लीपर कहते हैं इन स्लीपर के नीचे पत्थर यानी की गिट्टी होती है जिसे ब्लास्ट बोला जाता है इतना ही नहीं इसके नीचे अलग-अलग तरह के दो लेयर में मिट्टी रहती है इन सब की बीच नॉर्मल जमीन होती है। रेलवे ट्रैक जमीन से थोड़ा ऊंचाई पर होता है। पटरी के नीचे कॉन्क्रीट के बने स्लीपर पर भी पत्थर और इसके नीचे मिट्टी रहती है इन सभी चीजों के कारण ट्रेक  साधारण जमीन से थोड़ा ऊंचाई पर रहता है। 

इसके स्थान पर गोल पत्थरो  का प्रयोग किया जाए तो वे एक दूसरे से फिसलने लगेंगे और पटरी अपनी जगह से दूर हो जाएगी

रेलवे ट्रैक पर बिछाई जाने वाली गिट्टी खास तरह की होती है जो गाड़ी गुजरने के दौरान अहम भूमिका निभाती है। इसके स्थान पर गोल पत्थरो  का प्रयोग किया जाए तो वे एक दूसरे से फिसलने लगेंगे और पटरी अपनी जगह से दूर हो जाएगी। यह नुकीले होने के कारण एक दूसरे में मजबूत पकड़ बनाते हैं यह  ट्रेन पटरी से गुजरती है तो पत्थर आसानी से ट्रेन की वजह को संभाल पाते हैं। ट्रेन का वजन करीब 1000000 किलो   रहता है जिसे सुनकर आपको भी हैरानी होगी।  इस वजह से सिर्फ पटरी नहीं संभाल सकती इतना भारी ट्रेन के वजन को संभालने के लिए लोहे की बनी ट्रिक के साथ साथ क्रिकेट के बने स्लीपर तथा पत्थर सहायता करते हैं इसमें सबसे ज्यादा वजन इन पत्थरो  पर ही रहता है इन पत्थरो  के चलते ही कॉन्क्रीट  के बने स्लीपर अपनी जगह से नहीं हिलते हैं।