सर्दियों में स्वेटर ग्लव्स पहनने से पहले पढ़े ये खबर ,यहां जाने क्यों हो सकता है खतरनाक

सर्दियों के दिन है ,लोग गर्म ऊनी कपड़ों में नजर आ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या स्वेटर या ऊनि जैकेट पहनने से आपकी स्किन में रेशेज आ रहे हैं। अगर यह समस्या है तो आपको टेक्सटाइल डर्मेटाइटिस हो सकती है। यह कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस का ही एक रूप है दूसरे शब्दों में कहे तो आप के कपड़ो में लगे फाइबर के प्रति आपकी स्किन रिएक्ट कर रही है या ऐसा भी हो सकता है कि कपड़ों के बनाने में जिन केमिकल्स डाई और रेंजिस का इस्तेमाल किया है इसके लिए उनके प्रति रिएक्ट कर रही हो।
कई बार लोग बिना देरी किबिना देरी किए कार्डिगन, मफलर या स्टोल उतार कर रख देते हैं। जिनकी स्किन सेंसिटिव है उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत होती है और लाल दाने या चकते बन जाते हैं। यह तब होता है जब ऊनि कपड़ों का फाइबर खाने लगता है इससे स्किन में इन्फ्लेमेशन शुरू हो जाता है।
एपीडर्मिस सबसे ऊपरी लेयर होती है
कॉस्मेटिक प्लास्टिक सर्जन डॉ विक्रांत रंजन बताते हैं कि स्किन में ऊपर में 2 लेयर होते हैं एपीडर्मिस और डर्मल। एपीडर्मिस सबसे ऊपरी लेयर होती है। डर्मिस लेयर एपीडर्मिस और हाइपोडर्मिस लेयर के बीच होती है। डर्मिस का काम है स्किन को प्रोटेक्ट करना। यह फाइबर जैसी संरचना होती है यह फाइबर जैसी संरचना होती है जिसमें कोलाजन, इलास्टिक टिश्यूज, हेयर फॉलिकल्स, ग्लैंड्स होते हैं।कोलाजन एक तरह का प्रोटीन है जिससेस्किन का स्ट्रक्चर तैयार होता है। डबल लेयर में ही ब्लड कैपिलरीज होती है ,इन्हें प्राप्त करने के लिए एप्स डबल लेयर होती है। जब डबल लेयर में सूजन होती है तब इसे डर्मेटाइटिस कहते हैं।
यह डेड ह्यूमन सेल्स में पनपते हैं डस्ट माइट्स स्किन से चिपक जाते हैं
वुलन कपड़े पहनने पर जब रेशेज होते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि डर्मिस लेयर क्षति ग्रस्त हो चुकी है। क्योंकि वहां ब्लड सप्लाई रहती है ऐसे में इचिंग होने पर लाल चकत्ते आने लगते है इसे सामान्य रूप से Skin writing कहा जाता है। वुलन कपड़ों में डस्ट माइट्स होते हैं यह इतने छोटे होते हैं कि खुली आंखों से दिखाई नहीं देती यह डेड ह्यूमन सेल्स में पनपते हैं डस्ट माइट्स स्किन से चिपक जाते हैं उनके यूरिन से स्किन पर रैशेज होने लगते हैं। आमतौर पर यह बेड ,पर्दे ,रजाई ,कंबल ,फर्नीचर में रहते हैं। डॉ विक्रांत कहते हैं कि इसलिए हमें विंटर में पुराने वुलन कपड़ों को पहनने से पहले धूप में सुखा लेना चाहिए। Sun exposure मिलने से ये डस्ट माइट्स मर जाते हैं। वूलन कपड़ों के फाइबर में ये घुसे रहते हैं। अगर लंबे समय बाद आप पुराने वूलन कपड़ों को पहन रहे तो इसे ड्राई क्लीन करा लें, धूप में सुखा लें। बावजूद आपको इससे एलर्जी हो रही तो इसे चेंज करना ज्यादा अच्छा है।