नए बने माता पिता की बच्चे की वजह से हो रही है नींद पूरी तो ऐसे सेट करे बच्चे का सोने का समय

नए बने माता-पिता के लिए सबसे बड़ा संघर्ष होता है कि नींद पूरी करना वे बहुत मेहनत से बेबी को सुलाने की कोशिश करते हैं और बेबी सो भी जाता है पर जैसे उनके सोने का समय का होता है वह भी जाग जाता है कभी-कभी तो पूरा दिन और रात इस संघर्ष के साथ बीत जाते हैं यही वजह है की शुरूआती दिनों में हर माता-पिता बच्चों की स्लिप साइकिल और अपनी नींद पूरी करने के लिए गुग्गल करते हैं अगर आप भी संकट से गुजर रहे हैं हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जब बच्चे पैदा होते हैं तो नई माँ ये नहीं समझता कि उसका बच्चा कब सोता है और कब जागते हैं जब मां के सोने का समय होता है तो बच्चा जाग जाता है और मां को परेशान करने लगता है ऐसी स्थिति में मां की नींद पूरी नहीं होती।
हालांकि नवजात शिशु दिन और रात में ज्यादातर समय सोते रहते हैं और कुछ घंटों के लिए ही दूध पीने के लिए जागते नए माता-पिता के लिए अक्सर यह जानना मुश्किल होता है कि नवजात शिशु को कितनी देर और कितनी बार सोना चाहिए शुरुआती बच्चे के सोने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है दिन में कभी भी सोते और कभी भी रात में जागते रहते हैं यही मां-बच्चे के स्लीप साइकिल को कैसे समझाये और कैसे ठीक ठीक करें ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि अपने बच्चे के सोने और जाने के समय को कैसे समझे।
डॉक्टर के अनुसार आमतौर पर बच्चे दिन में करीब से आठ दस से 10 घंटे और रात में लगभग 9 घंटे सोते हैं कम से कम 3 महीने तक बच्चे रात में 5 से 6 घंटे तक जाते हैं कुछ तो 1 साल के करीब रात में नहीं सो पाता है इसके पीछे वजह यह है कि नवजात शिशुओं का पेट छोटा होता है और उन्हें दूध पीने के लिए हर कुछ घंटों में जागना पड़ता है।
ज्यादातर मामलों में वे हर 3 घंटे में भूखे हो जाते हैं यह उम्र और वजन के अनुसार दूध की मात्रा पर भी निर्भर करता है कभी-कभी कुछ दिक्कतों के कारण भी शिशु रात में ज्यादा देर तक जागता रहता है जानकारी के आभाव में नई मांएं नींद लाने के लिए बच्चे को बेड पर लिटाकर मुंह में बॉटल पकड़ा देती हैं यह गलत अभ्यास से कान में संक्रमण रोग उत्पन्न हो सकती है यदि आपका बच्चा लंबे समय तक सोता रहता है या सोते हुए अचानक जाग जाता है रोने लगता है तो उसे कान में संक्रमण की समस्या हो सकती है इसके लिए तुरंत अपने पेडिएट्रिशियन से मिले।
बच्चे खुद नहीं सोना जानते वे सिर्फ नींद आने का संकेत देते है ऐसी स्थति में उसकी स्लीप साइकिल को ठीक करके सुला सकती है यह सबसे आम है जैसे ही बच्चे के नींद आने के संकेत मिलते हैं तो ज्यादातर माएं बच्चे को सोने के हिलाना या स्तनपान कराना शुरू कर देती है इससे उसका स्लिप पैटर्न वैसा ही बन जाएगा यह आदत डालने की कोशिश करें कि ब्रेस्ट फिटिंग कराने के बाद है उसे थोड़ी देर बाहों में झूल आए तब जब उसकी आंखें नींद में जाने लगें, तो उसे धीरे से बेड पर डाल दें इस तरह बच्चा अपने आप सो जाना सीख जाता है।