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महाराणा प्रताप की पहली पत्नी थी उनके लिए सबसे खास ,यहां जानें उनकी प्रेम कहानी के बारे में

 

भारत के प्राचीन इतिहास में कई ऐसे महान राजा-महाराजा रहे हैं। जिनकी प्रेम कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज और इसमें से कई राजाओं की प्रेम कहानियां आज भी याद की जाती है। आपने यकीनन कई मुगल बादशाहों की प्रेम कहानी भी सुनी होगी या पढ़ी होगी। लेकिन क्या आपको मेवाड़ के महाराजा प्रताप और महारानी अजबदे पंवार की प्रेम कहानी का पता है। अगर नहीं तो आपको बता दें कि महाराणा प्रताप की भी एक अद्भुत कहानी है। जो ना सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज है बल्कि उनकी प्रेम कहानी की मिसाल दी जाती है। 

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महाराजा प्रताप की और भी कई रानियां थी लेकिन महारानी अजबदे पंवार उनकी पहली और सबसे खास रानियों में से एक थी। आज हम आपको महारानीअजब दे पंवार के बारे में बताते हैं और उनकी शादी महाराणा प्रताप से हुई थी। महाराणा प्रताप का जन्म 1540 में हुआ था। उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह था लेकिन उनके ने बचपन में 'कीका 'के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप राजपूत सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। जो आज वीरता ,शौर्य ,त्याग और नरम लहजे के लिए जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह और माता का नाम महारानीजयवंती बाई था। इतिहास के अनुसार महारानी अजबदे पंवार महाराणा प्रताप की पहली और सबसे प्रिय पत्नी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की अजबदे सिसोदिया के एक परिवार में पैदा हुई थी। उनके पिता का नाम राव माम्रक सिंह था और उनकी माता का नाम हंसा बाई था। अजबदे  काफी साहसी लड़की थी जो हमेशा से महाराणा प्रताप के प्रति वफादार रही है। इतिहास के अनुसार महाराणा प्रताप जब 17 साल के थे। तब उनका विवाह अजबदे से हो गया और अजबदे  समय 15 साल की थी। 

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लेकिन कहा जाता है कि अजबदे और महाराणा प्रताप एक दूसरे को शादी करने से पहले ही जानते थे। क्योंकि दोनों अच्छे दोस्त थे। दोनों के बीच विश्वास और सम्मान का भाव था। इसलिए महाराणा प्रताप मेवाड़ साम्राज्य से संबंधित तमाम गोपनीय सूचना अजबदे  के साथ शेयर किया करते थे। कहते हैं कि महाराणा प्रताप को अजबदे के अंदर अपनी मां की छाया दिखती थी। इसलिए जब भी महाराणा प्रताप अजबदे  को देखते थे। उन्हें अपनी मां की याद आती थी। इसलिए राजा को महारानी अजबदे से अलग ही लगाव था। बता दें कि महाराणा प्रताप और महारानी अजबदे की अमर सिंह के बाद एक और संतान हुई थी जिसका नाम भगवानदास था।